Holi Type | Date (Approx.) | Location |
---|---|---|
लट्ठमार होली | होली से 6-7 दिन पहले | बरसाना और नंदगांव |
फूलों की होली | होली से 4-5 दिन पहले (एकादशी) | बांके बिहारी मंदिर, वृंदावन |
विधवाओं की होली | होली से 3-4 दिन पहले | गोपीनाथ मंदिर, वृंदावन |
हुड़ंगा होली | होली के अगले दिन | दाऊजी मंदिर (30 किमी दूर) |
रंगभरनी होली | होली से 1 दिन पहले | बांके बिहारी मंदिर, वृंदावन |
छड़ी मार होली | होली से 3-4 दिन पहले | गोकुल, मथुरा |
ब्रज की होली | पूरे होली सप्ताह | वृंदावन, मथुरा, बरसाना, नंदगांव, गोकुल |
🚩 नोट: होली की तारीखें हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल बदल सकती हैं।😊
होली सिर्फ रंगों का त्योहार नहीं, बल्कि प्रेम, भक्ति और उल्लास का प्रतीक है। जब बात वृंदावन और ब्रज क्षेत्र की होली की होती है, तो यह त्योहार और भी खास हो जाता है। यहाँ की होली कई दिनों तक अलग-अलग तरह से मनाई जाती है। आइए जानते हैं वृंदावन और इसके आसपास के प्रसिद्ध होली उत्सव और उनकी खासियतें।
1. लट्ठमार होली – बरसाना और नंदगांव
📍 स्थान: बरसाना और नंदगांव
📅 कब: होली से लगभग एक हफ्ता पहले

क्या है खास?
बरसाना और नंदगांव की लट्ठमार होली विश्व प्रसिद्ध है। इसमें बरसाना की महिलाएँ (राधा रानी की नगरी) नंदगांव के पुरुषों (श्रीकृष्ण की नगरी) को लाठियों से मारती हैं, और पुरुष खुद को ढाल से बचाने की कोशिश करते हैं। यह होली राधा-कृष्ण की शरारत भरी प्रेम कहानियों को दर्शाती है।
2. फूलों की होली – बांके बिहारी मंदिर, वृंदावन
📍 स्थान: बांके बिहारी मंदिर, वृंदावन
📅 कब: होली से पहले की एकादशी (एक दिन)

क्या है खास?
इस दिन रंगों की जगह फूलों से होली खेली जाती है। जब मंदिर के पट खुलते हैं, तो श्रद्धालुओं पर फूलों की वर्षा होती है। यह होली बेहद भक्तिमय माहौल में खेली जाती है और भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित होती है।
3. विधवाओं की होली – गोपीनाथ मंदिर, वृंदावन
📍 स्थान: गोपीनाथ मंदिर, वृंदावन
📅 कब: होली से कुछ दिन पहले
क्या है खास?
समाज में विधवाओं को अक्सर होली जैसे त्योहारों से दूर रखा जाता था, लेकिन वृंदावन में विधवाएँ भी गुलाल उड़ाकर होली का आनंद लेती हैं। यह आयोजन सामाजिक बदलाव और समरसता का संदेश देता है।
4. हुड़ंगा होली – दाऊजी मंदिर, वृंदावन के पास
📍 स्थान: दाऊजी मंदिर (वृंदावन से 30 किमी दूर)
📅 कब: होली के अगले दिन
क्या है खास?
यहां महिलाएँ पुरुषों के कपड़े फाड़कर उन पर रंग डालती हैं। यह एक पारंपरिक रस्म है, जिसमें पूरा गाँव भाग लेता है।
5. रंगभरनी होली – बांके बिहारी मंदिर, वृंदावन
📍 स्थान: बांके बिहारी मंदिर, वृंदावन
📅 कब: होली के एक दिन पहले
क्या है खास?
इस दिन भगवान बांके बिहारी स्वयं भक्तों के साथ होली खेलते हैं। पूरे मंदिर परिसर में गुलाल उड़ता है और भजन-कीर्तन का माहौल भक्तिमय बना रहता है।
6. छड़ी मार होली – गोकुल
📍 स्थान: गोकुल (मथुरा के पास)
📅 कब: होली से कुछ दिन पहले
क्या है खास?
यह होली भी लट्ठमार होली की तरह होती है, लेकिन यहाँ पर पुरुषों को महिलाओं की छड़ियों से मार खाने का अवसर मिलता है। यह परंपरा कृष्ण की बाल लीलाओं से जुड़ी हुई है।
7. ब्रज की होली – पूरे ब्रज क्षेत्र में
📍 स्थान: वृंदावन, मथुरा, बरसाना, नंदगांव, गोकुल
📅 कब: पूरे होली सप्ताह में

क्या है खास?
यहां होली सिर्फ एक दिन नहीं, बल्कि पूरे सप्ताह तक चलती है। रंगों, गुलाल, भक्ति संगीत और नृत्य के साथ यह उत्सव राधा-कृष्ण की प्रेम गाथाओं को जीवंत कर देता है।
निष्कर्ष
वृंदावन और ब्रज की होली पूरी दुनिया में सबसे अनोखी होती है। चाहे लट्ठमार होली हो, फूलों की होली हो, या रंगभरनी होली, हर एक में एक अलग उत्साह और भक्ति का संगम देखने को मिलता है। अगर आप एक बार इस दिव्य होली का अनुभव कर लें, तो इसे जीवनभर भूल नहीं पाएंगे! 🌸🎨
🚩 इस साल, क्या आप वृंदावन की होली में शामिल होने की योजना बना रहे हैं? कमेंट में बताएं! 😊🔥